जमीयत उलेमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट ने जिस तरह इस मामले का स्वतः संज्ञान लिया उसकी तारीफ की. उन्होंने कहा कि जब सरकार संवैधानिक जिम्मेदारी निभाने में विफल हो जाए और पीड़ितों की आवाज सुनकर भी चुप रहे तो अदालतें ही न्याय के लिए एकमात्र सहारा रह जाती हैं.
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