मंदिर के महंत शंकर मिश्रा की मानें तो यहां हनुमान जी को भोग के अलावा जनेऊ चढ़ाने, चोला, घंटी और धागा बांधने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इस मंदिर का इतिहास अवध के नवाबी काल से जुड़ा हुआ है. जानिए किस तरह यहां परंपराएं नवाबों से शुरू हुईं और अब मंदिर किस तरह नया रूप ले रहा है.
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