आत्मनिर्भर भारत की बेमिसाल कहानी: किडनी की बीमारी के चलते राधेश्याम मुंडा को BSL की नौकरी छोड़नी पड़ी थी. राधेश्याम को जब लग रहा था कि जिंदगी हर दिन उनसे दूरी बनाती जा रही है, तभी उन्होंने अपने अदम्य साहस से न केवल मौत से जंग जीती, बल्कि आज के दिन वह अपने इंजीनियर बेटे को 15,000 रुपये प्रति महीने की नौकरी भी दे रहे हैं. पढ़ें एक आम इंसान के हजारों-लाखों लोगों के लिए मिसाल बनने की कहानी...
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