सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किशोरावस्था में प्यार करना अपराध नहीं माना जाना चाहिए और ऐसे मामलों को POCSO कानून के तहत कठोर अपराध न समझा जाए. कोर्ट ने चेताया कि सामाजिक हकीकत को ध्यान में रखकर ही कानून लागू होना चाहिए.
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